रेवाड़ी: सुनील चौहान। भारतेंदु युग की सेनापति, हिंदी उन्नायक बाबू बालमुकुंद गुप्त राष्ट्रीयता के अग्रदूत तथा नवजागरण के पुरोधा थे। ये विचार हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा ने स्थानीय लायंस भवन में हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला तथा बाबू बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बाबू बालमुकुंद गुप्त स्मृति समारोह अध्यक्षीय संबोधन के रूप में व्यक्त किए। कोसली के विधायक लक्ष्मण सिंह यादव के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस समारोह में हरियाणा ग्रंथ अकादमी के निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर शिरकत की। कोलकाता से पधारे गुप्त जी के प्रपौत्र बिमल गुप्त ने स्वागताध्यक्ष तथा साहित्यसेवी हेमंत सिंहल ने समारोह संयोजक की भूमिका निभाई। विचार गोष्ठी, पुस्तक लोकार्पण, छायाचित्र प्रदर्शनी तथा बाबू बालमुकुंद गुप्त पुरस्कार समारोह के मुख्य आकर्षण रहे।
समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए कोसली के विधायक श्री यादव ने कहा कि श्री गुप्त ने एक क्रांतिकारी कलमकार के तौर पर वीरभूमि हरियाणा का नाम हिंदी पत्रकारिता, भाषा तथा साहित्य के क्षेत्र में देशभर में रोशन करवाया। विशिष्ट अतिथि के तौर पर बोलते हुए श्री चौहान ने गुलामी के दौर में कलम के माध्यम से आजादी की अलख जगाने वाले हैं गुप्त जी की साहित्य पत्रकारिता क्षेत्र में योगदान को रेखांकित करते हुए आज उनकी प्रासंगिकता पर बल दिया।
इस अवसर पर जाने-माने हास्य कवि हलचल हरियाणवी तथा युवा साहित्यकार राजेश भुलक्कड़ को साहित्य क्षेत्र में उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य पुरस्कार से अलंकृत किया गया। समारोह में दस रचनाकारों की अठारह नवप्रकाशित कृतियों का लोकार्पण किया गया, जिनमें सूरदास सम्मान से अलंकृत वरिष्ठ साहित्यकार रोहित यादव, डॉ. जयभगवान शर्मा, हलचल हरियाणवी, दर्शना शर्मा, राजेश भुलक्कड़, परमानंद ‘वसु,’ विपिन सुनेजा ‘शायक़’ रौनक हरियाणवी तथा सत्यवीर नाहड़िया के नाम उल्लेखनीय है। पिछले दो दशकों के स्मृति समारोहों पर केंद्रित छायाचित्र प्रदर्शनी समारोह का मुख्य आकर्षण रही।
युवा गायक मुकेश जांगड़ा की गुप्तजी पर स्वरांजलि से प्रारंभ हुई इस स्मृति समारोह में परिषद के अध्यक्ष ऋषि सिंहल ने जहां मांग पत्र प्रस्तुत किया, वहीं परिषद के संरक्षक नरेश चौहान एडवोकेट ने अकादमी तथा परिषद के पिछले दो दशकों की सामूहिक सक्रियता से आयोजित किए गए कार्यक्रमों की साहित्यिक रिपोर्ट रखी। परिषद् से जुड़े झज्जर से पधारे वरिष्ठ पत्रकार डॉ प्रवीण खुराना ने गुप्तजी पर मुख्य वक्तव्य रखा। परिषद के महासचिव साहित्यकार सत्यवीर नाहड़िया के संचालन में आयोजित समारोह में रेवाड़ी के वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर रमेश चंद्र शर्मा ने जहां गुप्त जी के भूले बिसरे व्यक्तित्व एवं कृतित्व को चिरस्थायी एवं प्रेरणापुंज बनाने के अभियान को रेखांकित किया, वहीं हिंदी ग़ज़लकार विपिन सुनेजा ने गुप्त जी की दोहों का सस्वर पाठ कर भाव विभोर कर दिया।
समारोह में परिषद् के आजीवन सदस्यों एवं आयोजन समिति के हिंदी पखवाड़ा सहयोगियों को सम्मानित किया गया,जिनमें जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार,डॉ. विजेंद्र,डॉ. आकाश, संदीप गोयल, ,आलोक सिंहल, संजय सहगल, विजयपाल सेहलंगिया, योगेश कौशिक, आचार्य रामतीर्थ, त्रिभुवन भटनागर, शीला काकस, प्रीति लांबा आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। इस अवसर पर काव्य कॉर्नर गुरुग्राम फाउंडेशन के संयोजक वरिष्ठ कवि राजपाल यादव, साहित्यकार रमेश सिद्धार्थ, त्रिलोक फतेहपुरी, बृजलाल गोयल, दलबीर ‘फूल’, मनोज कौशिक, डॉ कंवर सिंह यादव, पूनम वाधवा, योगेश हरियाणवी, प्रेमपाल अनपढ़, यतिन कोचर, गौतम इलाहाबादी, बीडी यादव, राजीव गुप्ता, अजय यादव, श्रीनिवास शास्त्री, दिलीप शास्त्री, रघुवीर संभरिया, डॉ रामावतार ‘एकलव्य’, राजकुमार जलवा, देशराज शर्मा आयोजन समिति की ओर से श्यामबाबू गुप्त, कृष्ण भगवान गोयल, मयंक तथा ने मेहमानों को प्रतीक चिन्ह भेंट किए। लायंस क्लब के प्रधान राकेश गर्ग ने विधायक तथा अकादमी से साहित्यिक ग्राम गुड़ियानी में बाबू बालमुकुंद गुप्त स्मृति द्वार बनाने का आह्वान करते हुए सभी का आभार ज्ञापित किया।