फर्जी सर्टिफिकेट से रेवाडी अदालत में नौकरी करने वाले दो युवकों पर गिरी गाज, जानिए कैसे हुआ खुलासा

हरियाणा: सुनील चौहान। रेवाड़ी जिले में कोर्ट में फर्जी कागजात से क्लर्क की नौकरी करने वाले दोनो क्लर्कों पर आखिरकार गाज गिर ही गई है। दोनो युवकों को नौकरी से हटाने के साथ ही उनके खिलाफ सेशन कोर्ट ने मॉडल टाउन थाना में केस भी दर्ज जांच शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार जनवरी 2019 में पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने क्लर्क के 31 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। भर्ती के लिए रोहतक के बसंत विहार निवासी रविन्द्र व रोहतक के ही गांव दत्तौर सांपला निवासी लोकेश कुमार ने आवेदन किया। हाईकोर्ट के आदेशानुसार, दोनों ने पूरी प्रक्रिया की, लेकिन दस्तावेज जमा कराते समय आरोपी रविन्द्र ने अपनी 12वीं की मार्कशीट और लोकेश ने BSc (बैचलर ऑफ साइंस) की डिग्री फर्जी जमा करा दी। इस बीच आरोपियों ने 15 अप्रैल 2021 को अन्य लोगों के साथ रेवाड़ी कोर्ट में क्लर्क पद पर नौकरी भी जॉइन कर ली। दोनों की मार्कशीट पर शुरू से ही संदेह था, जिसके चलते जांच कराई गई। रविन्द्र ने खुद को 12वीं पास उच्च शिक्षा बोर्ड दिल्ली से दर्शाया था। मार्कशीट में रोहतक के ही श्री बालाजी सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 12वीं पास बताया गया। जुलाई 2021 में कोर्ट की तरफ निदेशक उच्च शिक्षा बोर्ड दिल्ली को पत्र भेजा गया, जिसके जवाब में बोर्ड ने बताया कि जिस स्कूल से रविन्द्र ने 12वीं पास के दस्तावेज दिए हैं, वह स्कूल बोर्ड से संबद्ध नहीं है। दोनो के कागजात मिले फर्जी: क्लर्क की नौकरी के आवेदन की अंतिम तिथि 7 फरवरी 2019 तक आरोपी लोकेश ने भी BSc नहीं की थी। उसने 27 जनवरी 2020 को BSc की थी। जबकि दस्तावेज में उसने 2019 में ही BSc करना अंकित कराया था। कोर्ट ने लोकेश की डिग्री को लेकर भी MDU (महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी) रोहतक को पत्र लिखा था, जिसके जवाब में 27 जनवरी 2020 को BSc करने की जानकारी दी गई। इस तरह उसने भी फर्जी दस्तावेज लगाकर अप्रैल 2021 में रेवाड़ी कोर्ट में जॉइन कर लिया। इस बीच दोनों क्लर्क पद पर रहते हुए सैलरी भी लेते रहे, लेकिन अगस्त 2021 में दोनों के सर्टिफिकेटों संबंधी जानकारी मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की गई। अब दोनों को नौकरी से भी हटा दिया गया है। वहीं सेशन कोर्ट ने दोनों के खिलाफ रेवाड़ी के मॉडल टाउन थाना में केस दर्ज कराया है।