रेवाड़ी: नियम 134ए के तहत जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को दाखिले देने में रेवाड़ी जिले के निजी स्कूल अन्य जिलों के मुकाबले अब तक सबसे फिसड्डी रहे हैं। अब तक जहां पहली सूची के आधार पर पानीपत जिले में सबसे अधिक 55.6 प्रतिशत बच्चों के दाखिले हो चुके हैं। वहीं रेवाड़ी जिले में महज 13.7 प्रतिशत बच्चों के ही दाखिले हुए हैं।
निजी स्कूलों की ओर से जहां नियम 134ए की पिछले वर्षों की बकाया फीस सहित विभिन्न मांगों को लेकर अड़ियल रवैया अपनाया हुआ है, वहीं सरकार की तरफ से मासिक फीस की राशि बढ़ाने के साथ ही स्कूलों की बकाया फीस हेतु आवेदन के लिए फिर से पोर्टल को खोल दिया गया है। इसके बावजूद निजी स्कूल 134ए के तहत दाखिला देने को तैयार नहीं हैं। पिछले 25 दिनों से अभिभावक दाखिले के लिए निजी स्कूलों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन अधिकांश अभिभावकों को अभी तक केवल निराशा ही हाथ लगी है। मौलिक शिक्षा निदेशालय की गत 16 दिसंबर को पहली सूची जारी की गई थी, जिसमें 2,150 विद्यार्थियों के नाम शामिल थे। इनमें से अभी तक केवल 294 बच्चों के दाखिले हुए हैं तथा 28 के आवेदन रद हो गए हैं। ऐसे में बाकी बच्चों का भविष्य दाव पर लगा हुआ है।
पिछले सत्र की फीस के लिए 52 स्कूलों ने ही किया है आवेदन: पिछले सत्र की बकाया फीस के लिए जिले के 243 निजी स्कूलों में से शिक्षा विभाग के पास केवल 52 स्कूलों ने ही अभी तक आवेदन किया है। इनमें से केवल 20 स्कूलों ने ही निर्धारित समय पर आवेदन किया था, जिनमें से 19 के खाते में पिछले सत्र की फीस आ चुकी है। वहीं एक आवेदन रद हो गया था। इस साल की आवेदन प्रक्रिया शुरू होने के पश्चात निदेशालय की ओर से बाकी स्कूलों को भी आवेदन करने का एक मौका दिया गया था, लेकिन 32 स्कूलों ने ही आवेदन किया है, जिनका आवेदन जिला कार्यालय से अप्रुव होकर निदेशालय को भेजा जा चुका है। वहीं विभागीय अधिकारियों के अनुसार निदेशालय की ओर से नियम 134ए की फीस के लिए निजी स्कूलों को आवेदन करना होता है, इसमें जिला स्तरीय अधिकारियों का कोई रोल नहीं होता है। उनके पास तो केवल आवेदन जांच के लिए आता है, उसमें अगर कोई कमी होती है तो संबंधित स्कूल को सूचित कर उसे दूर कराते हुए अप्रुव कर दिया जाता है। बिना आवेदन किए हुए फीस मांगना गलत है।
पानीपत 2,069 1,150 साल 2015 से अधिकांश स्कूलों की नियम 134ए की फीस बकाया है। जबकि शिक्षा विभाग की ओर से अब केवल पिछले सत्र की बकाया फीस के लिए ही आवेदन लिए जा रहे हैं। हम गरीब प्रतिभावान छात्रों को पढ़ाने के लिए तैयार हैं, लेकिन निजी स्कूलों को उचित खर्च भी तो मिले। सरकार के आरटीई एक्ट लागू करने से जहां 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को पढ़ने का मौका मिलेगा, वहीं निजी स्कूलों को समय से उनका भुगतान होने का भी रास्ता खुलेगा।