पानी ही पानी: रेवाडी में 980 एकड पर जलभराव, ऐसे में कैसे होगी सरसो की बिजाई

हरियाणा: सुनील चौहान। जुलाई में हुई बारिश से जलभराव किसानों के लिए  मुसीबत बन गया है। जिला के जाटूसाना एवं रोहड़ाई क्षेत्रों में पिछले दो माह से भी अधिक समय से 15 गांवों की 980 एकड़ से भी अधिक जमीन बारिश के पानी में डूबी हुई है। जलभराव से पहले लगाई गई फसल भी बर्बाद हो गई है। हालात यह हो गई है कि अक्टूबर में सरसों की बिजाई शुरू हो जाएगी लेकिन अभी तक पानी की निकासी ही नहीं हुई है। हालांकि सिंचाई विभाग की ओर पानी निकासी के प्रयास किए जा रहे है, लेकिन अथाह पानी काफी से बाहर हो रहा है। जुलाई की बारिश के बाद और बिगड़े हालात: जिला में इस बार सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है जिसके चलते पानी की उपलब्धता के लिहाज से अच्छी श्रेणी वाले इन क्षेत्रों में खेत में जलमग्न हो गए है। 18 जुलाई को हुई जिलाभर में भारी बारिश हुई थी जिसके बाद से जवाहरलाल नेहरू से लगते जाटूसाना, रोहड़ाई, लाला, नांगल पठानी, सूमाखेड़ा, मुरलीपुर, पाल्हावास, मस्तापुर, खेड़ा आलमपुर, गुरावड़ा, सैदपुर, नूरपुर सहित अन्य गांवों के खेतों में बड़ी मात्रा में पानी जमा हो गया। शुरूआती दौर तो किसानों और प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसी बीच लगातार बारिश भी होती रही है जिससे पानी की मात्रा कम होने की बजाय बढ़ गई। अगस्त के शुरूआत में जब राहत नहीं मिली तो किसानों ने प्रशासन को अवगत कराया जिसके बाद यहां पर पंपसेट लगाए गए हैं। खेतों का पानी डिस्ट्रीब्यूटरियों में डाला जा रहा है लेकिन यह पानी नहरों में ही घूम रहा है। अब सितंबर का दूसरा सप्ताह शुरू हो चुका है और फिर बारिश होने से कई गांवों में स्थिति वही बनती जा रही है। हालात यह हो गए है कि अब खेतों से पानी नहीं निकला तो सितंबर के अंत बिजाई के लिए भी तैयार नहीं हो पाएंगे। यहीं चिंता किसानों को सता रही है। बोले किसान-धान बर्बाद, सरसों की संभावना कम गांव लाला निवासी किसान आजाद सिंह और दिलबाग सिंह ने बताया कि उनके आसपास के 10-15 गांवों में पिछले दो माह से खेती की जमीन का बड़ा हिस्सा पानी में डूबा हुआ है। सिंचाई विभाग ने पंपसेट भी लगाए हुए हैं लेकिन क्षेत्र बड़ा होने और पानी नहरों में ही डाल देने से कोई समाधान नहीं हो रहा है। नहरों की वजह से आसपास लगती जमीन में पानी नहीं सूख रहा है। पानी को मुख्य जवाहरलाल नेहरू में ही डाला जाए तो ही कुछ समाधान है। धान की फसल बर्बाद हो चुकी है और सरसों की भी उम्मीद कम है। वजह-किसानों का धान के प्रति मोह बना कारण खंड कृषि अधिकारी डॉ.मनोज कुमार बताते हैं जाटूसाना-रोहड़ाई के गांवों बड़ा हिस्सा जवाहरलाल नेहरू कैनाल के आसपास है। पिछले एक दशक पूर्व यहां के किसानों ने धान की बुवाई शुरू की थी और इसका रकबा बढ़कर अब 3 से 4 हजार हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। पहले रेवाड़ी जिला में धान का रकबा शून्य रहता था। धान की वजह से मिट्‌टी में पानी सोखने की क्षमता समाप्त हो जाती है और सेम की वजह बनती है। इन गांवों में पिछले कुछ सालों में धान का रकबा बहुत अधिक बढ़ गया है। इसके अलावा अब नहरी पानी की सिंचाई में कोई जरूरत नहीं है लेकिन पानी खूब उपलब्ध है। पानी निकाले के लिए एक माह से लगातार चल रहे हैं पंपसेट: सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता अमर मलिक का कहना है कि बिल्कुल यह सही है कि जाटूसाना-रोहड़ाई में बड़ी खेती की जमीन जलमग्न है लेकिन हमने पिछले एक माह से पंपसेट लगाए हुए हैं। जाटूसाना में तो तीन पंपसेट लगाए हुए हैं और अन्य गांवों में भी डिस्ट्रीब्यूटरी में पानी डालने के लिए पंपसेट लगा रखे हैं। रूक-रूककर बारिश हो जाने से स्थिति वही हो जाती है। हालांकि कुछ गांवों में पानी की मात्रा कम हुई है। अक्टूबर तक पूरा पानी निकाल देंगे। खेड़ा आलमपुर और सूमाखेड़ा में ज्यादा स्थिति बदहाल: लंबे समय से जमा इस पानी की वजह से खेतों की भी स्थिति बिगड़ रही है। सबसे अधिक हालात खेड़ा आलमपुर, पाल्हावास, सूमाखेड़ा और मुरलीपुर जैसे गांवों में बने हुए हैं। यहां पर पंपसेट लगाने के बाद भी पानी की मात्रा कम नहीं हो रही है।