कोरोना व बढ़ती महंगाई ने बढ़ाई कपड़ा दुकानदारों की चिंता,यूपी: चुनाव का बिगुल बचते ही गली गली नेता बन जाते है। वो अलग बात है किसी को टिकट नही मिली तो कोई टिकट मिलने के बावजूद हार जाता है। लेकिन एक बार चुनावी रंग मे नेता तो बन ही जाता है।
राजनीति हुई सस्ती: देश की राजनीति का केन्द्र कही जानी वाली उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विधानसभा चुनावों की हलचलें काफी तेज होती नज़र आ रही हैं। नवाबों का शहर लखनऊ देशभर की राजनीति में अपना अहम किरदार निभाने के लिए हमेशा चर्चा में बना रहा हैं। अब ऐसे में चुनावों की बात हो और लखनऊ में बने दारूलशफा का जिक्र न हो,ऐसा तो हो नहीं सकता। लालबाग स्थित दारूलशफा राजनीति का प्रशिक्षण केन्द्र भी कहा जाता है, जानकार कहते हैं कि यही पर नेता तैयार होते हैं। यहां बने विधायक के आवासों पर राजनीति में कदम रखने वालों की भीड़ देखी जा सकती हैं। इसी कड़ी में दारूलशफा में मौजूद कपड़ा दुकानदारों से बताया 100 से लेकर 1200 रूपये मीटर तक की कीमत का कपड़ा मौजूद है। यहां खादी सबसे ज्यादा बिकता है दूर-दूर से नेता और आम लोग भी दारूलशफा आते हैं। नेता, विधायक और मंत्री तक यहां से खरीदे कपड़े ही पहनते हैं,क्योंकि यहां कपड़ा अच्छे से अच्छा मिल जाता है।
स्वामी प्रसाद मौर्य और उनके बेटे यहां बहुत आते हैं,इस बार चुनाव में बहुत सन्नाटा है। कोरोना की वजह से जनता निकल नहीं रही हैं और रैली,जनसभाएं नहीं हो रही है।अब तो लग रहा है कि चुनाव के बाद ही यहां भीड़ आएगी। कोरोना और बढ़ती महंगाई से बिक्री पर 75 प्रतिशत का फर्क पड़ा है। कोरोना को लेकर ही ऐसे हालात है वरना ऐसे हालात कभी नहीं हुए। हर आदमी को अपनी जान प्यारी हैं। यहां एक बात बहुत अच्छी है कि यहां कम पैसे वाले भी महज 400 रूपयों में कुर्ता-पैजामा लेकर पांच मिनट में नेता बन जाते हैं।
इस बार छाया सन्नाटा: दुकानदारो ने बताया कि चुनाव में नये-पुराने नेता सब यहां आते हैं मौसम खराब है इसलिए अब यहां सन्नाटा ज्यादा है। यहां चुनाव का पूरा महौल बन चुका है काफी गहमागहमी है। इस बार भगवा और लाल खूब बिक रहा हैं।लाल रंग सपा वाले भगवा भाजपा वाले ले जा रहे हैं। हमारे पास खादी, खादी सिल्क और खादी काॅटन हैं, नेताओं की पहली पसंद खादी काॅटन ही होती है। रैली और जनसभा न होने से हमारे काम पर फर्क नहीं पड़ा है। वही मौजूद मोहम्मद महफूज़ ने कहा कि विधानसभा चुनाव आ गये है, इसलिए यहां सरगर्मियां बढ़ी है। समाजवादी पार्टी वाले सफेद और भाजपा वाले भगवा और मोदी जाॅकेट खूब ले जा रहे हैं। इस बार मोदी जाॅकेट नयी आयी है जिसे भाजपाई काफी पसंद कर रहे हैं।भाजपा के नेता भगवा कुर्ता और सफेद पैंट और मोदी जाॅकेट खरीद रहे हैं और सपा नेता सफेद कुर्ता मोटे कपड़ा खादी का और पैंट का कपड़ा भी सफेद लेते हैं
अभी मौसम खराब है बीच-बीच में बारिश भी हो रही जिसकी वजह से भीड़ नहीं आ रही हैं। इसके साथ ही इनायत ने बताया कि दारूलशफा में उनकी दुकान 35 साल पुरानी है। बिहार के मधुबनी का मशहूर खादी कपड़ा यहां आता है जो नेताओं खूब पसंद है वही ज्यादा बिकता है यहां पर। आगे कहा कि महंगाई बहुत है जिससे बिक्री पर काफी फर्क पड़ा है। जीएसटी ग्राहकों से नहीं लेते पर हम जीएसटी देकर ही माल उठाते हैं। चुनाव है पर कोरोना की वजह से विधायक एक-दो लोगों या कभी-कभी खुद अकेले ही आते हैं,जबकि पहले विधायकों के साथ काफी भीड़ आती थी पर अब बिल्कुल नहीं आ रही है।
चुनाव में जिन नेताओं का टिकट फाइनल हो रहा है वो खुद अकेले ही आ रहे कपड़ा लेने क्योंकि चुनाव में जनसम्पर्क और मीटिंगों में जाने के लिए नये कपड़े ज्यादा पहनते है नेता। दारूलशफा में सिलाई कारखाने में काम करने वाले जावेद ने कहा कि गरीबी बहुत है राशन वाला मोदी का थैला मिला है उसी में जनता भीख मांगें। हम सिलाई कारीगर है कोरोना लाॅकडाउन और महंगाई ने कमर तोड़ दी है इस सरकार से गरीब-मजदूर को कुछ भी नहीं मिला हालात बहुत खराब है। वही इसी कारखाने के संचालक आज़म अली कहते हैं कि कपड़े के रेट दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, जीएसटी लगने से हर महीने रेट बढ़ रहे हैं और सूत की कीमतें भी लगातार बढ़ रही हैं।
मीट्रीयल के रेट 20 फीसद से ज्यादा बढ़ गए हैं। दारूलशफा के आस-पास ही ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों के दफ्तर हैं और अब चुनाव बिल्कुल करीब है फिर भी यहां भीड़ नहीं हैं। चुनाव में टिकट लेने तो लोग आ रहे हैं पर कपड़ा सिलवाने नहीं आ रहे हैं। एक वक्त था कि जब लोग यहां बहुत बड़ी तादाद में आते थे और चुनाव के महीनों पहले से यहां काफी चहल-पहल रहती थी। कोरोना और महंगाई ने कारोबार की कमर तोड़ कर रख दी है। हमारे यहां सासंद,मंत्री, विधायक और कुछ समय पहले उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा तक आ चुके हैं।