कैप्टन अजय यादव ने लगाया आरोप: कॉलेज सोसायटी ने 1.5 करोड़ में खरीदी 200 करोड़ की जमीन
रेवाडी: सुनील चौहान। अहीर कॉलेज सोसायटी द्वारा पट्टे पर चल रही जमीन की खरीद के साथ ही राजनेताओं ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं। रविवार को वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने इस जमीन की खरीद को लेकर गंभीर आरोप लगाए। कैप्टन ने कहा कि 200 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत की इस जमीन को महज 1.50 करोड़ रुपए में खरीदा गया है।
पत्रकारों से दस्तावेज साझा करते हुए कैप्टन ने दावा किया गया कि ये जमीन बेची भी उन लोगों ने जो इसके मालिक ही नहीं है। वर्ष 1939 में ही कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए जमीन पर हक जताने वालों को वारिस नहीं माना था। ऐसे में जमीन की रजिस्ट्री हो जाना भी अपने आप में चौंकाने वाला है। कैप्टन ने कहा कि मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए तथा पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जाए, ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो सके।
बता दें कि कॉलेज सोसायटी के नाम इसी साल जुलाई में रजिस्ट्री कराई गई है। जमीन को बेचने के दस्तावेजों में साफ लिखा है कि वर्ष 1965 में 105 कनाल (13.12 एकड़) जमीन को 90 साल के पट्टा पर दिया गया था।
विक्रेताओं में उषा देवी, तरूण कुमार व संजय कुमार हैं। इनका कहना है कि हम उक्त जमीन को खाली नहीं करा सकते। अब हमें पैसों की जरूरत है। जो कीमत हमें आज मिल रही है, भविष्य में इससे ज्यादा कीमत मिलना मुश्किल है। इस मामले में खरीददार राव राघवेंद्र सिंह (अदर) अहीर कॉलेज सोसायटी हैं तथा गवाह के तौर पर एडवोकेट सचिन मलिक व हंसराज यादव ने हस्ताक्षर किए हैं।
पुराना है मालिकाना हक का विवाद
राय बहादुर माखन लाल रेवाड़ी के मुख्य बिसवेदार रहे हैं, जो कि 6291 बीघा 3 बिस्वा (3931 एकड़ 7 कनाल) जमीन के मालिक थे। निसंतान उनकी मृत्यु हो गई थी। मुंशीलाल जैन ने खुद को गोद लिया हुआ पुत्र बताकर जमीन पर मालिकाना हक का दावा किया। इस पर आज तक विवाद चलता आ रहा है। चीफ सेक्रेटरी को शिकायत भेजने वाले अधिवक्ता मुकेश कुमार वर्मा ने दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि वर्ष 1939 में एडीजे हिसार आईयू खान की कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया था। इसके अलावा भी विभिन्न जजमेंट में उनके खिलाफ निर्णय गए। शहर में अलग-अलग जगह इसी तरह जमीन बेचने के आरोप हैं। हाल ही में टेकचंद क्लब का विवाद भी खूब गहराया।
राव इस्तीफा दें, सीबीआई जांच हो : कैप्टन
कैप्टन अजय यादव ने बताया कि वर्ष 2009 में भी तत्कालीन रेवाड़ी डीसी टीएल सत्यप्रकाश ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में शहर के बाकी हिस्सों में भी उक्त परिवार द्वारा जमीन को बेचना पाया व एफआईआर तक के लिए लिखा था। मगर हुआ कुछ नहीं। अब अहीर कॉलेज सोसायटी को जमीन बेच दी गई। यह सोसायटी समाज की थी, अब केवल एक परिवार की हो गई है। राव इंद्रजीत सिंह खुद चेयरमैन हैं। नैतिक आधार पर राव इस्तीफा दें और मामले की सीबीआई जांच हो।
1939 के फैसले के बाद ठीक होना चाहिए था रिकार्ड : अधिवक्ता
चीफ सेक्रेटरी और फाइनेंस कमिश्नर को सबूतों और कोर्ट के निर्णयों की कॉपी के साथ शिकायत भेजने वाले एडवोकेट मुकेश कुमार वर्मा का कहना है कि राय बहादुर माखन लाल की मृत्यु निसंतान हो गई थी। मुंशीलाल ने गोद लिया पुत्र होने का दावा किया, मगर वे साबित नहीं कर पाए और वर्ष 1939 में कोर्ट ने निर्णय खिलाफ सुनाया। अब गड़बड़ी ये हुई कि 1939 के बाद से ही रेवेन्यू रिकार्ड दुरूस्त कराया जाना चाहिए था तथा पूरी जमीन सरकार के खाते में जानी चाहिए थे। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ और मुंशीलाल के बाद उनके वंशजों ने भी इसी तरह शहर के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद जमीन को बेचा। माखन लाल की जमीन से संबंधित मामले हाईकोर्ट-सुप्रीमकोर्ट तक में गए हैं।
पट्टानामा की शर्त पर खरीदी जमीन : सचिव
अहीर कॉलेज सोसायटी के सचिव राव राघवेंद्र सिंह ने कैप्टन अजय यादव के आरोपों को निराधार व राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि कैप्टन द्वारा गलत तथ्यों को आधार बनाकर भ्रम फैलाने की कोशिश की गई है। अहीर कॉलेज सोसाइटी एक रजिस्टर्ड संस्था है, जो पिछले कई सालों से कॉलेज का संचालन कर रही है। कॉलेज की कुछ जमीन पट्टे पर चल रही थी। यह पट्टा वर्ष 2025 में समाप्त होना था। पट्टा खत्म होने पर इस संस्था का कोई मुकदमा आदि ना हो और कॉलेज संचालन में कोई बाधा खड़ी ना हो इन सब बातों को ध्यान में रखकर जमीन मालकान से बातचीत व रजामंदी से जमीन की खरीद की गई है।
उन्होंने बताया कि जमीन खरीद का सारा पैसा बैंक ट्रांजेक्शन द्वारा किया गया है। रजिस्ट्री उन्हीं लोगों से कराई गई है जो कागजात माल में मालिक हैं। वैसे भी यह जमीन संस्था को पट्टानाम की शर्त अनुसार और भी सस्ती मिल सकती थी, परंतु संस्था में मुकदमे बाजी से बचते हुए एवं संस्था व शिक्षण संस्थान के हितों को ध्यान में रखते हुए इसे रजिस्ट्री कराकर प्राप्त किया गया है। राव राघवेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोग, जिनकी निगाह इस जमीन पर लगी हुई थी, उनके मंसूबे पूरे नहीं हो पाने के कारण जल्दबाजी में बिना तथ्यों की पड़ताल किए आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में सोमवार को पत्रकार वार्ता भी की जाएगी।